हिंदू-मुस्लिम के बाद जैन समाज का भोजशाला पर दावा, खुदाई में निकली मूर्तियां उनके देवी-देवताओं की

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धार। मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित ऐतिहासिक भोजशाला वर्सेज कमाल मौला मस्जिद में हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के अपने अपने धार्मिक स्थल होने के दावों के बीच अब हाईकोर्ट में सुनवाई से पहले जैन समाज ने अपना विशेष स्थल होने का दावा पेश कर दिया है। इसे लेकर विश्व जैन संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सलेक चंद जैन ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में जैन पक्ष की ओर से याचिका दायर कर दी है। कोर्ट में पेश की गई याचिका के अनुसार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सर्वे के दौरान भोजशाला में जो मूर्तियां निकलीं, उनमें जैन समाज के देवी-देवताओं और उनके तीर्थंकर की भी मूर्तियां हैं। उन्होंने भोजशाला परिसर को जैन गुरुकुल होने का दावा किया है।
कोर्ट में दायर याचिका में एएसआई की ओर से किए जा रहे सर्वे में जैन समाज के दो प्रतिनिधियों को शामिल करने, साथ ही खुदाई में मिलीं जैन समाज के देवी-देवताओं की मूर्तियां समाज को सौंपने की मांग की गई है। खास बात ये है कि हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने जैन समाज की याचिका स्वीकार कर ली है। साथ ही संभावना जताई जा रही है कि आगामी 4 जुलाई जैन पक्ष की भी सुनवाई की जा सकती है।
आपको बता दें कि सोमवार को एक बार फिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ( एएसआई ) की टीम सर्वे खत्म होने के चौथे दिन आखिरी बार भोजशाला परिसर में गई है। यहां टीम दस्तावेजों का काम पूरा करने गई है। क्योंकि, कल मंगलवार 2 जुलाई को सर्वे टीम को हाईकोर्ट की इंदौर पीठ में सर्वे की फाइनल रिपोर्ट पेश करनी है। इसी बीच सर्वे कार्य के दौरान मिली जैन समाज की मूर्तियों को लेकर विश्व जैन संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सलेक चंद जैन ने वरिष्ठ अधिवक्ता पीके शुक्ला और आशुतोष शुक्ला ने भी कोर्ट में याचिका दायर कर दी है।
एडवोकेट शुक्ला के अनुसार, याचिका के जरिए जैन समाज ने दावा किया है कि भोजशाला में जैन धर्म से संबंधित अंबिका देवी की मूर्ति मिली है। इसके अलावा वहां जैन गुरुकुल होने के भी प्रमाण मिले हैं, क्योंकि एक शिलालेख ऐसा भी मिला है जो बताता है कि यहां किसी समय जैन गुरुकुल हुआ करता था। कई देशी-विदेशी वरिष्ठ लेखकों ने अपनी पुस्तकों में सनातन और जैन समाज के देवी-देवताओं की मूर्तियों की आकृति के बारे में जिक्र किया है।
उन्होंने कहा कि मूर्तियां लगभग एक जैसी होती हैं। इनमें अंतर कर पाना बहुत आसान नहीं होता। ऐसे में इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि जिस मूर्ति को सरस्वती की मूर्ति बताया जा रहा है, असल में वो जैन समाज की देवी की मूर्ति हो। याचिका में कहा है कि अब तक भोजशाला मामले में चल रही सुनवाई में सिर्फ हिंदू और मुस्लिम पक्षकार ही शामिल हुए हैं, लेकिन अब जैन समाज को भी सर्वे में शामिल किया जाए। समाज की ओर से सुनवाई के दौरान दो प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
संगठन की इंदौर शाखा के अध्यक्ष मयंक जैन और मीडिया प्रभारी राजेश जैन दद्दू ने बताया कि हमने ये मांग भी रखी है कि खोदाई के दौरान जैन समाज से जुड़ी मूर्तियों को समाज को सौंपा जाए, जिससे इन मूर्तियों को सही स्थान पर विराजित किया जा सके।